हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी…
हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी याद मेरी भी उसे फिर तो सताती …
हिज़्र ए गम क़ुर्ब में तन्हाई रुलाती होगी याद मेरी भी उसे फिर तो सताती …
तुम्हे न फिर से सताएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़ कि अब न लौट के आएँगे हम, …
दिल ने जब जब तुझ पे इंहिसार किया तुमने ख़ुद को और भी बे ऐतबार …
नादान न बन इतना तू हर सवाल का जवाब जानता है मेरी नींदे चुराने वाले …
बहुत कठिन ही सही मगर किया जाए अना से तर्क ए अना तक सफ़र किया …
एक वा’दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वर्ना इन तारों भरी रातों में …
तेरी तरफ से कोई भी पयाम आया नहीं दुआ तो दूर है अबतक सलाम आया …
मुहब्बत आज़माती है, मुझे तुम याद आते हो जुदाई अब सताती है, मुझे तुम याद …
मुहब्बत कहाँ अब घरों में मिले यहाँ फूल भी पत्थरो में मिले, जो फिरते रहे …
हुई न खत्म तेरी रह गुज़ार क्या करते तेरे हिसार से ख़ुद को फ़रार क्या …