शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा

शोर करूँगा और न कुछ भी बोलूँगा
ख़ामोशी से अपना रोना रो लूँगा,

सारी उम्र इसी ख्वाहिश में गुज़री है
दस्तक होगी और दरवाज़ा खोलूँगा,

तन्हाई में ख़ुद से बातें करनी है
मेरे मुँह में जो आएगा वही बोलूँगा,

रात बहुत है तुम चाहो तो सो जाओ
मेरा क्या मैं दिन में भी सो लूँगा,

तुमको दिल की बात बतानी है लेकिन
आँखे बंद करो तो मुट्ठी खोलूँगा..!!

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