ये दिल आवेज़ी ए हयात न हो
अगर आहंग ए हादसात न हो,
तेरी नाराज़गी क़ुबूल मगर
ये भी क्या भूल कर भी बात न हो,
ज़ीस्त में वो घड़ी न आए कि जब
हाथ में मेरे तेरा हाथ न हो,
हँसने वाले रुला न औरों को
सुबह तेरी किसी की रात न हो,
इश्क़ भी काम की है चीज़ अगर
यही बस दिल की काएनात न हो,
कौन उस की जफ़ा की लाए ताब
गाहे ब गाहे जो इल्तिफ़ात न हो,
रिंद कुछ कर रहे हैं सरगोशी
ज़िक्र ए साक़ी से ख़ुशसिफ़ात न हो..!!