कर के सारी हदों को पार चला….

कर के सारी हदों को पार चला
आज फिर से मैं कु ए यार चला,

उसने वायदा किया था मिलने का
कर के उस पर मैं ऐतबार चला,

जाने क्या बात उसमे ऐसी थी
उसकी ज़ानिब जो बार बार चला,

मिट गए हम मिल गई खुशियाँ
रब को दिल से जो मैं पुकार चला,

क्यूँ हो बे कैफ़ ज़िन्दगी उसकी
ले के दोस्तों जो माँ का प्यार चला..!!

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