लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है
मुझे तन्हाई में कुछ अपने घर से बात करनी है,
बिखरने के मराहिल में सहारा क्यूँ दिया मुझ को
मेरी मिट्टी ने दस्त ए कूज़ा गर से बात करनी है,
किया था जान दे के हम ने कार ए आशियाँ बंदी
जलाया किस लिए बर्क़ ओ शरर से बात करनी है,
मुक़ाबिल हुस्न जब आए सितमज़ादों की महफ़िल में
ज़बाँ को क़ैद करना है नज़र से बात करनी है,
बदल डाला है दुनिया को जो फ़िरऔनों की बस्ती में
ख़ुदा ने आज शायद फिर बशर से बात करनी है..!!