उदास चाँद खुले पानियों में छोड़ गया…

उदास चाँद खुले पानियों में छोड़ गया
वो अपना चेहरा मेरे आँसूओ में छोड़ गया,

हवा के झोंके से लरजी थी एक शाख़ ए गुल
किसी का ध्यान मुझे ख़ुशबूओ में छोड़ गया,

गले मिले थे मुहब्बत की तेज धूप में हम
ये कौन उड़ते हुए बादलो में छोड़ गया,

सफ़र के पहले पड़ाव में मरने वाला शख्स
अज़ीब खौफ़ हमारे दिलो में छोड़ गया,

ये किसने हमको बनाया शिकस्ता मिट्टी से
फिर उसके बाद घनी बारिशो में छोड़ गया,

इस एहतिमाम से बिखरे हुए है फूल यहाँ
निशानी जैसे कोई रास्तों में छोड़ गया..!!

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