वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया

वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया
लिबास पहने रहा और बदन उतार गया,

हसब नसब भी किराए पे लोग लाने लगे
हमारे हाथ से अब ये भी कारोबार गया,

उसे क़रीब से देखा तो कुछ शिफ़ा पाई
कई बरस मेरे जिस्म से बुख़ार गया,

तुम्हारी जीत का मतलब है जंग फिर होगी
हमारे हार का मतलब है इंतिशार गया,

तू एक साल में एक साँस भी न जी पाया
मैं एक सज्दे में सदियाँ कई गुज़ार गया..!!

~हसीब सोज़

Leave a Reply

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: