एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी…

एक पगली मेरा नाम जो ले शरमाये भी घबराये भी
गलियों गलियों मुझसे मिलने आये भी घबराये भी,

रात गए घर जाने वाली गुमसुम लड़की राहों में
अपनी उलझी जुल्फों को सुलझाए भी घबराये भी,

कौन बिछड़ कर फिर लौटेगा क्यों आवारा फिरते हो
रातों को एक चाँद मुझे समझाये भी घबराये भी,

आने वाली रुत का कितना खौफ है उसकी आँखों में
जाने वाला दूर से हाथ हिलाए भी घबराये भी..!!

~मोहसिन नक़वी

Leave a Reply

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: