वही किस्से है वही बात पुरानी अपनी…

वही किस्से है वही बात पुरानी अपनी
कौन सुनता है भला राम कहानी अपनी,

सितमगर को ये हमदर्द समझ लेती है
कितनी ख़ुश फ़हम है कमबख्त जवानी अपनी,

रोज मिलते है दरीचे में नये फूल मुझे
छोड़ जाता है कोई रोज निशानी अपनी,

तुझसे बिछड़े है तो पाया है बियाबाँ का सकूत
वरना दरियाँओ से मिलती थी रवानी अपनी..!!

~मोहसिन नक़वी

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women