चाहते है इज्ज़त ओ मुक़ाम ए बलंदी तो
सर को खालिक़ के आगे झुका लीजिए,
गर है ख्वाहिश पाने की इल्म ओ हुनर
उस्तादों से बा अदब ही मिला कीजिए,
ज़िन्दगी के तजरुबे की हो दरकार जो
कुछ वक़्त बुजुर्गो के साथ बीता लीजिए,
तब्सिरा करिएगा गैरो के ऐब ओ हुनर पे
पहले ख़ुद को तो आईना दिखा लीजिए,
जानते है कि गीबत है गुनाह ए अज़ीम
क्यों ना करने से पहले तज़्किरा कीजिए,
देख कर माल ओ ज़र या हुस्न ओ ज़माल
आहे भरने से पहले शुक्र ए ख़ुदा कीजिए,
गर हो गई कोई खता ज़िन्दगी में तो
फिर पहले मगफिरत की दुआ कीजिए..!!