लबों पर यूँही सी हँसी भेज दे
मुझे मेरी पहली ख़ुशी भेज दे,
अँधेरा है कैसे तेरा ख़त पढ़ूँ
लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे,
मैं प्यासा हूँ ख़ाली कुआँ है तो क्या
सुराही लिए एक परी भेज दे,
बहुत नेक बंदे हैं अब भी तेरे
किसी पर तो या रब वही भेज दे,
कहीं खो न जाए क़यामत का दिन
ये अच्छा समय है अभी भेज दे..!!
~मोहम्मद अल्वी
























