किस तरह ये दिल हुआ तुम पर फ़िदा, लिख जाऊँगा
अपनी पेशानी पे अपनी हर खता लिख जाऊँगा,
नेक नामी आपकी क़ायम रहेगी इस तरह
आपको मासूम, मैं ख़ुद को बुरा लिख जाऊँगा,
लौह पर मुझसे ख़ुदा लिखवाए गर मेरी रज़ा
वो हमेशा ख़ुश रहे मैं यही दुआ लिख जाऊँगा,
तजरुबा जिससे मेरे दिल ने बहुत पाया सुरूर
देखना उनकी हया की इन्तेहा लिख जाऊँगा,
मैं वसीयत में लहद अपनी सजाने के लिए
हो कफ़न मेरा फ़क़त उनकी रिदा, लिख जाऊँगा..!!