उस ने जब हँस के नमस्कार किया
मुझ को इंसान से अवतार किया,
दश्त ए ग़ुर्बत में दिल ए वीराँ ने
याद जमुना को कई बार किया,
प्यार की बात न पूछो यारो
हम ने किस किस से नहीं प्यार किया,
कितनी ख़्वाबीदा तमन्नाओं को
उस की आवाज़ ने बेदार किया,
हम पुजारी हैं बुतों के जालिब
हम ने का’बे में भी इक़रार किया..!!
~हबीब जालिब

























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