सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले…

सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले
ये जो अब दश्त है दरिया था पहले,

जो होता कौन आता इस जहाँ में
किसे दुनिया का अंदाज़ा था पहले,

बड़ी तस्वीर लटका दी है अपनी
जहाँ छोटा सा आईना था पहले,

समझ में कुछ नहीं आता अब उसकी
वो जो औरों को समझाता था पहले,

किया ईजाद जिस ने भी ख़ुदा को
वो ख़ुद को कैसे बहलाता था पहले,

बहुत कुछ भी नहीं काफ़ी यहाँ अब
बहुत थोड़े से चल जाता था पहले,

ये दीवारें तो हैं इस दौर का सच
खुला हर दिल का दरवाज़ा था पहले..!!

~राजेश रेड्डी

Leave a Reply

error: Content is protected !!