हसीन रुत में…उदास क्यों हो ?

हसीन रुत में गुलाब चेहरों
मुझे बताओ उदास क्यों हो ?

दिलो पे बीती हुई कहानी
मुझे सुनाओ उदास क्यों हो ?

जो रंज़िशे दिल में पल रही है
मुनाफिक़त में जो ढल रही है
भूला के शिकवे मिटा के दूरी
गले लगाओ उदास क्यों हो ?

क़िताब ए दिल के हर सफ़हे पे
लिखा है हमने लफ्ज़ ए मुहब्बत
हमें हमारी वफ़ा के बदले
सज़ा सुनाओ उदास क्यों हो ?

फ़रेब खाना भी मशगला है
फ़रेब देना भी मशगला है
तो दिल के लुटने पे कैसा मातम
ख़ुशी मनाओ उदास क्यों हो ??

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