अब पहन लीजिये नक़ाबो को
आने दीजिये ना इन्क़लाबो को,
तोड़ कर ख़ुशबू लीजिये एक बार
और मसल दीजिये गुलाबो को,
तुमसे मिल कर मैं भूल जाता हूँ
सब गुनाहों को सब सबाबों को,
हैं तरसते हसीं देखे कोई
छोड़ परदे के इज़्तराबो को,
नाम पर तेरे वारता हूँ मैं
शेर ओ हिक़मत की सब किताबो को,
मेरे हर ख़्वाब की हो तुम ताबीर
देख मैंने लिया है ख़्वाबो को..!!