जाते जाते मुझे इल्ज़ाम तो देते जाओ
दिल के रिश्ते को कोई नाम तो देते जाओ,
दम निकल जाए न घुट कर शब ए तन्हाई में
मुझको वापस दिल ए नाक़ाम तो देते जाओ,
मैं किसी और का एहसान नहीं ले सकता
मेरी क़िस्मत मेरा अंज़ाम तो देते जाओ,
फूल महकाऊँ कि दामन में सजाऊँ काँटे
मेरे हिस्से का मुझे काम तो देते जाओ,
जाते जाते मुझे इल्ज़ाम तो देते जाओ
दिल के रिश्ते को कोई नाम तो देते जाओ..!!