जाने कितने रकीब रहते है
ज़िन्दगी के क़रीब रहते है,
मेरी सोचो के आस्तां से परे
मेरे अपने हबीब रहते है,
उनको दिल की दवा नहीं मिलती
जिनके घर में तबीब रहते है,
जैसे सहरा में शाम ढलती है
ऐसे अपने नसीब रहते है,
तुमने देखा नहीं मगर दिल में
वसवसे तो अज़ीब रहते है,
कुछ फ़कीरो के भेष में अक्सर
बादशाह भी क़रीब रहते है..!!