हुस्न ए मह गरचे ब हंगाम ए कमाल अच्छा है
उससे मेरा मह ए ख़ुर्शीद ज़माल अच्छा है,
बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह
जी में कहते है कि मुफ़्त में आये तो माल अच्छा है,
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक
वो समझते है कि बीमार का हाल अच्छा है,
देखिए पाते है उश्शाक़ बुतों से क्या फैज़ ?
एक बरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है,
क़तरा दरिया में जो मिल जाए तो दरिया हो जाए
काम अच्छा है वो जिसका कि मआल अच्छा है,
हमको मालूम है ज़न्नत की हकीक़त लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है..!!
~मिर्ज़ा ग़ालिब