होशियारी ये दिल ए नादान बहुत करता है
रंज कम सहता है पर ऐलान बहुत करता है,
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग़
कम से कम रात का नुक़सान बहुत करता है,
आज कल अपना सफ़र तय नहीं करता कोई
हाँ सफ़र का सर ओ सामान बहुत करता है..!!
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