ख़बरें हुकुमत की क़ब्रें आवाम की
हमको नहीं है लालच तुम्हारे इनाम की,
बोया है तुमने जो भी काटोगे भी तुम ही
पूरी ना होगी ख्वाहिश अपने दवाम,
लोटे लौट आये है वापस अपने घर को
कहानी है ये पुरानी, पुराने हमाम की,
मुहब्बत करते हो तो करते रहो तुम
ख़बर नहीं है तुमको इसके अंज़ाम की..!!