वो इस अंदाज़ की मुझसे मोहब्बत चाहता है…

वो इस अंदाज़ की मुझसे मोहब्बत चाहता है
मेरे हर ख़्वाब पर अपनी हुकूमत चाहता है,

मेरे हर लफ़्ज़ में जो बोलता है मुझसे बढ़ कर
मेरे हर लफ़्ज़ की मुझसे वज़ाहत चाहता है,

बहाना चाहिए उसको भी अब तर्क ए वफ़ा का
मैं ख़ुद उससे करूँ कोई शिकायत चाहता है,

उसे मालूम है मेरे परों में दम नहीं है
मेरा सय्याद अब मुझ से बग़ावत चाहता है,

वो कहता है कि मैं उसकी ज़रूरत बन चुका हूँ
तो गोया वो मुझे हस्ब ए ज़रूरत चाहता है,

कभी उस के सवालों से मुझे लगता है ऐसे
कि जैसे वो ख़ुदा है और क़यामत चाहता है,

उसे मालूम है मैं ने हमेशा सच लिखा है
वो फिर भी झूठ की मुझसे हिमायत चाहता है..!!

~नुसरत मसऊद

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