तेरी हर बात चल कर भी यूँ मेरे जी से आती है

तेरी हर बात चल कर भी यूँ मेरे जी से आती है
कि जैसे याद की ख़ुशबू किसी हिचकी से आती है,

कहाँ से और आएगी अक़ीदत की वो सच्चाई
जो जूठे बेर वाली सरफिरी सबरी से आती है,

बदन से तेरे आती है मुझे ऐ माँ वही ख़ुशबू
जो एक पूजा के दीपक में पिघलते घी से आती है,

उसी ख़ुशबू के जैसी है महक पहली मुहब्बत की
जो दुल्हन की हथेली पर रची मेहँदी से आती है,

हज़ारों खुशबुएँ दुनियाँ में है पर उस से छोटी है
किसी भूखे को जो सिकती हुई रोटी से आती है,

मेरे घर में मेरी पुरवाईयाँ घायल पड़ी है अब
कोई पछवा न जाने कौन सी खिड़की से आती है,

ये माना आदमी में फूल जैसे रंग है लेकिन
अदब ओ तहज़ीब की ख़ुशबू मुहब्बत से ही आती है..!!

~कुँवर बेचैन

Leave a Reply

Eid Special Dresses for women