ग़मों का सैलाब आया ज़रूर है
कुछ खोया तो कुछ पाया ज़रूर है,
एक तुम हो जो दर्द समझते ही नहीं
पर मेरी आँखों ने तो बताया ज़रूर है,
मौसम सुहाना क्यूँ जब तू पास नहीं
ऐसे मौसमो ने हमें सताया ज़रूर है,
तुमसे इश्क़ का इज़हार नहीं किया
पर इस दिल में तुम्हे बसाया ज़रूर है,
एक तुम्हे ही देखने को बेक़रार है आँखे
इन धड़कनो को भी समझाया ज़रूर है,
माना कि तुमने ही दी है तमाम खुशियाँ
मगर सच ये भी है कि रुलाया ज़रूर है..!!