आते ही चुनाव तुमको हमारा ख्याल आता है

वाह ! रे सियासत ए हिंदुस्तान
तुझे दाँव पेच का खेल क्या कमाल आता है,

यूँ तो रहा करते है नदारद
आते ही चुनाव तुमको हमारा ख्याल आता है,

सबब पतझड़ का जो होता है
वही ओढ़े मौसम ए बहार की खाल आता है,

कर के तारीकियो के हवाले
राह दिखाने को जुगनू लेकर मशाल आता है,

गाते है क़सीदे वतपरस्ती के
ख़ूँ_ ए_ वतन फ़रोश में अभी उबाल आता है,

कही बँटते है साड़ी कपड़े
कोई लेकर रजाई दुशाला और शाल आता है,

कही से तेल, कही से नमक
तो कही से बिन माँगे ही महँगा दाल आता है,

गर ना हो यकीं तो आज़मा लो
अगर माँगो चावल तो लेकर पुलाव आता है..!!

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