तेरे पैकर सी कोई मूरत बना ली जाएगी

तेरे पैकर सी कोई मूरत बना ली जाएगी
दिल के बहलाने की ये सूरत निकाली जाएगी,

कौन कह सकता था ये क़ौस ए क़ुज़ह को देख कर
एक ही आँचल में ये रंगत समा ली जाएगी,

काग़ज़ी फूलों से जब मानूस होंगी तितलियाँ
आशिक़ी की रस्म दुनिया से उठा ली जाएगी,

आइने में बाल पड़ जाए तो जा सकता नहीं
रेत की दीवार तो फिर से बना ली जाएगी,

हम जो कार ए आज़री में बेहुनर ठहरे तो क्या
उनकी सूरत शेर के क़ालिब में ढाली जाएगी,

ख़ुद परस्ती के नशे में जिनको है ज़ोम ए जमाल
आइना देखें तो उनकी ख़ुश ख़याली जाएगी,

इश्क़ की फ़ितरत में है परवान ही चढ़ना रईस
हुस्न वो दौलत नहीं जो फिर कमा ली जाएगी..!!

~रईस वारसी

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