कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ, कभी बात भूल जाऊँ…

कभी लफ्ज़ भूल जाऊँ
कभी बात भूल जाऊँ

तुझे इस क़दर चाहूँ कि
अपनी ज़ात भूल जाऊँ

उठ कर कभी जो तेरे
पास से चल दूँ

जाते हुए ख़ुद को
तेरे पास भूल जाऊँ

कैसे कहूँ तुमसे कि
कितना चाह है तुम्हे

अगर ये कहने पे तुमको आऊँ
अल्फाज़ भूल जाऊँ..!!

 

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