कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने…
कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने हरम सरा से बुलाया हमें वतन अपने, खुले …
कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने हरम सरा से बुलाया हमें वतन अपने, खुले …
अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है हमारी आँख में एक शख़्स बेतहाशा है, …
बहुत गुमान था मौसम शनास होने का वही बहाना बना है उदास होने का, बदन …
मैं जो महका तो मेरी शाख़ जला दी उसने सब्ज़ मौसम में मुझे ज़र्द हवा …
है दुआ याद मगर हर्फ़ ए दुआ याद नहीं मेरे नग़्मात को अंदाज़ ए नवा …
चराग़ ए तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है, अभी तो …
भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए, …
ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं लोग अब ज़िंदगी के मुजरिम हैं, और कोई …
हारे हुए नसीब का मयार देख कर वो चल पड़ा है इश्क़ का अख़बार देख …
बना के भेजा था उस रब ने अपना तर्जुमान तुम्हे छोड़ के सब कुछ फक़त …