मैं जो महका तो मेरी शाख़ जला दी उसने…

मैं जो महका तो मेरी शाख़ जला दी उसने
सब्ज़ मौसम में मुझे ज़र्द हवा दी उसने,

पहले एक लम्हे की जंज़ीर से बाँधा मुझको
और फिर वक़्त की रफ़्तार बढ़ा दी उसने,

जानता था कि मुझे मौत सुकूं बख्शेगी
वो सितमगर था सो जीने की दुआ दी उसने,

जिसके होने से थीं साँसे मेरी दोगुनी
वो जो बिछड़ा तो मेरी उम्र घटा दी उसने..!!

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