कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने…
कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने हरम सरा से बुलाया हमें वतन अपने, खुले …
कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने हरम सरा से बुलाया हमें वतन अपने, खुले …
अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है हमारी आँख में एक शख़्स बेतहाशा है, …
तुम्हे न फिर से सताएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़ कि अब न लौट के आएँगे हम, …
बहुत कठिन ही सही मगर किया जाए अना से तर्क ए अना तक सफ़र किया …
इस देस का रंग अनोखा था इस देस की बात निराली थी नग्मो से भरे …
एक वा’दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वर्ना इन तारों भरी रातों में …
है दुआ याद मगर हर्फ़ ए दुआ याद नहीं मेरे नग़्मात को अंदाज़ ए नवा …
चराग़ ए तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है, अभी तो …
भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए, …
ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं लोग अब ज़िंदगी के मुजरिम हैं, और कोई …