भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है
भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है तेरी मेरी, मेरी तेरी सब की …
भीतर भीतर आग भरी है बाहर बाहर पानी है तेरी मेरी, मेरी तेरी सब की …
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है …
ख़बरें हुकुमत की क़ब्रें आवाम की हमको नहीं है लालच तुम्हारे इनाम की, बोया है …
इसी चमन में ही हमारा भी एक ज़माना था यहीं कहीं कोई सादा सा आशियाना …
सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का देश चलने लगा है पा कर इशारे …
है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, …
गुलों में रंग न खुशबू, गरूर फिर भी है नशे में रूप के वो चूर-चूर …
जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ …
ज़हालत की तारीकियो में गुम अहल ए वतन को वो ले कर तालीम की मशाल …