ज़हालत की तारीकियो में गुम अहल ए वतन को…

ज़हालत की तारीकियो में गुम अहल ए वतन को
वो ले कर तालीम की मशाल रास्ता दिखाने चला है,

दीदावर तन्हा ही निज़ाम ए शैतान से टकराने चला है
ज़ुल्मत पसंद हरीफो को आईना ए हक़ दिखाने चला है,

मुद्दतो से मुल्क में बिछाए गए गंदे सियासी जाल को
वो अपनी क़लम की ज़ोर से जड़ से मिटाने चला है,

हम तो दुआएँ खैर के तलबगार है फ़क़त या अल्लाह
सुना है वो अकेला ही ज़ुल्मत के परखचे उड़ाने चला है..!!

~नवाब ए हिन्द

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