ज़िन्दगी शायरी
शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है…
शाम तक सुबह की नज़रों से उतर जाते है इतने समझौतों पे जीते है कि …
लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है…
लरज़ती छत शिकस्ता बाम ओ दर से बात करनी है मुझे तन्हाई में कुछ अपने …
महफ़िल से मुझको उठाने के बाद क्या मिलेगा दिल दुखाने के बाद…
महफ़िल से मुझको उठाने के बाद क्या मिलेगा दिल दुखाने के बाद, आज तो देख …
यूँ बात बात पे कर के मुकालमा मुझसे…
यूँ बात बात पे कर के मुकालमा मुझसे वो खुल रहा है मुसलसल ज़रा ज़रा …
तेरे लिए सब छोड़ के भी तेरा न रहा मैं…
तेरे लिए सब छोड़ के भी तेरा न रहा मैं दुनियाँ भी गई इश्क़ में, …
ख़ुद को न ऐ बशर कभी क़िस्मत पे छोड़ तू…
ख़ुद को न ऐ बशर कभी क़िस्मत पे छोड़ तू दरिया की तेज धार को …
जब भी तुम चाहो मुझे ज़ख्म नया देते रहो…
जब भी तुम चाहो मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की …
चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए…
चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने …
किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था…
किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था ये कल की बात है दिल ज़िन्दगी …