फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है…
फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है तअल्लुक़ टूटने को एक बहाना चाहता है, जहाँ …
फ़साना अब कोई अंजाम पाना चाहता है तअल्लुक़ टूटने को एक बहाना चाहता है, जहाँ …
बारिश के क़तरे के दुख से ना वाक़िफ़ हो तुम हँसते चेहरे के दुख से …
रास्ते जो हमेशा सहल ढूँढ़ते है हो न हो वो सराबो में जल ढूँढ़ते है, …
आज जो तुम्हारी नज़र में एक तवायफ़ सी है वो तुम्हारी ही तो बनाई हुई …
सिखाया जो सबक़ माँ ने वो हर पल निभाता हूँ मुसीबत लाख आये सब्र दिल …
न शब ओ रोज़ ही बदले है न हाल अच्छा है किस ब्राह्मण ने कहा …
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के वो जा रहा है कोई शब ए ग़म …
कोई नहीं आता समझाने अब आराम से हैं दीवाने, तय न हुए दिल के वीराने …
इंशा जी उठा अब कूच करो, इस शहर में जी का लगाना क्या वहशी को …
शिकवा भी ज़फ़ा का कैसे करे एक नाज़ुक सी दुश्वारी है आगाज़ ए वफ़ा ख़ुद …