तुझे क्या बताऊँ ऐ दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है…
तुझे क्या बताऊँ ऐ दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है मुझे जुस्तुजू है फ़क़त तेरी …
तुझे क्या बताऊँ ऐ दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है मुझे जुस्तुजू है फ़क़त तेरी …
ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया मगर ये दाग़ क्यूँ कर ऐ …
सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं उन्हें कुछ और बेगाना बना कर …
हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा ख्वाहिशे बाद में रखी तुझे पहले …
इश्क़ में जान से गुज़रते है गुज़रने वाले मौत की राह नहीं देखते मरने वाले, …
रात पिघली है तेरे सुरमई आँचल की तरह चाँद निकला है तुझे ढूँढने पागल की …
तुमको वहशत तो सीखा दी है गुज़ारे लायक और कोई हुक्म ? कोई काम हमारे …
वो नवाज़िशे वो इनायते वो बिला वजह की शिकायतें कभी रूठना कभी मनाना वो बिखरी …
उसे मैं क्यूँ बताऊँ ??? मैंने उसको कितना चाहा है, बताया झूठ हो जाता है, …
वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो मुझे वापस बुलाएगा ज़रा तुम …