सीधे सादे से है कुछ पेंच ओ ख़म नहीं रखते

सीधे सादे से है कुछ पेंच ओ ख़म नहीं रखते
जी भर आता है तो रो लेते है गम नहीं रखते,

खुली क़िताब है हम, पर्दादारी नहीं है कोई
जो कहना है साफ़ कह देते है, भ्रम नहीं रखते,

दर्द किसी का हो छलकती है आँख अपनी भी
हो दुआ या कि मुहब्बत हो कम नहीं रखते,

दुश्मनी, नफ़रत, गिला या कि शिकवा दिल में
रखने वाले छुपा के रखते है, हम नहीं रखते,

ख़ुश हो लेते है हम याद कर के मुरव्व्ते उनकी
संगदिली को भूल जाते है, आँख नम नहीं रखते..!!

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