हिज़ाब तेरे चेहरे पर मैं सजा दूँ…

Bazme_love4

हिज़ाब तेरे चेहरे पर आ मैं सजा दूँ बाग़ ए इरम की तुझे मैं हूर बना दूँ,  

अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें…

ab zindagi pe ho gai bhari shararten

अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें तन्हाइयो ने छीन ली सारी शरारतें, होंठो के गुलिस्तान पे लाली

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े…

जब दुश्मनों के चार

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े हम भी कफ़न बाँध के सर पर निकल पड़े, जिन

मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक…

ek raat lagti hai ek sahar banane me

मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक ले आया मुझे मेरा तमाशाई यहाँ तक, रस्ता हो

वो एक लम्हा मुहब्बत भरा तेरे साथ…

wo ek lamha muhabbat bhara tere saath

वो एक लम्हा मुहब्बत भरा तेरे साथ ज़िन्दगी भर की ख़ुशियों पर भारी है, हम ही नहीं दिल

तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे…

teri surat nigaho me firti

तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे इश्क़ तेरा सताए तो मैं क्या करूँ ? कोई इतना तो आ

अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए…

ab shauq se ki jaan se guzar jana chahiye

अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए बोल ऐ हवा ए शहर किधर जाना चाहिए ?

नाज़ उसके उठाता हूँ रुलाता भी मुझे है…

naaz uske uthata hoo

नाज़ उसके उठाता हूँ रुलाता भी मुझे है ज़ुल्फो में सुलाता भी, जगाता भी मुझे है, आता है

वफ़ा ए वादा नहीं वादा ए दिगर भी नहीं…

wafa e wada nahi wada e digar bhi nahi

वफ़ा ए वादा नहीं वादा ए दिगर भी नहीं वो मुझसे रूठे तो थे लेकिन इस क़दर भी

लोग सह लेते थे हँस कर कभी बेज़ारी भी…

लोग सह लेते थे

लोग सह लेते थे हँस कर कभी बेज़ारी भी अब तो मश्कूक हुई अपनी मिलन सारी भी, वार