कोई ज़ब्त दे न जलाल दे…

कोई ज़ब्त दे न जलाल दे
मुझे सिर्फ़ इतना कमाल दे,

मुझे अपनी राह पे डाल दे
कि ज़माना मेरी मिसाल दे,

तेरी रहमतों का नज़ूल हो
मुझे मेहनतों के सिला मिले,

माल ओ ज़र की हवस न हो
मुझे तू बस रिज्क ए हलाल दे,

मेरे ज़हन में तेरी फ़िक्र हो
मेरी हर साँस में तेरा ज़िक्र हो,

तेरा खौफ़ ही मेरी निज़ात हो
बाक़ी खौफ़ दिल से निकाल दे,

तेरी बारगाह में ऐ मेरे ख़ुदा
मेरी रोज़ ओ शब है यही दुआ,

तू रहीम है तू करीम है
मुझे हर मुश्किलों से निकाल दे..!!

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