हिज्र की शब घड़ी घड़ी दिल से यही सवाल है
जिसके ख़याल में हूँ गुम उसको भी कुछ ख़याल है ?
हाय री बेबसी शौक़ ए दिल का अजीब हाल है
उसका जवाब सुन चुका फिर भी वही सवाल है,
ख़्वाब ओ फ़ुसूँ नहीं तो क्या दिल ये जुनूँ नहीं तो क्या
ख़ल्वत ए दोस्त और तू तेरा कहाँ ख़याल है ?
मैं तेरे दर को छोड़ दूँ शर्त ए वफ़ा को तोड़ दूँ
सोच ख़ुद अपने दिल में तू क्या ये मेरी मजाल है ?
शर्म सी नज़र दिल की है उठती नहीं निगाह ए शौक़
इश्क़ की मंज़िलों में एक मंज़िल ए इंफ़िआल है,
चाहेंगे गर तो दिल की बात आप ही जान लेंगे वो
मुँह से कहूँ तो क्या कहूँ शक्ल मेरा सवाल है,
बात उन्हीं की मान ली जैसे मैं ही ख़ता पे था
उनको कहीं ये शक न हो दिल में मेरे मलाल है,
अब तेरी जुस्तुजू हुई हिम्मत ए दिल के हस्ब ए ज़ौक़
तू ने ये जब से कह दिया ये तलब मुहाल है..!!