अपने अंदाज़ में औरों से जुदा लगते हो

अपने अंदाज़ में औरों से जुदा लगते हो
सब बला लगते हैं तुम रद ए बला लगते हो,

किस क़दर मान से रोका था उसे जाने से
जिसने पूछा है जवाबां मेरे क्या लगते हो ?

नीची नज़रें किये, सिमटे हुए, घबराये हुए
मुजस्सम ! क्या कहें इसको ? हया लगते हो,

अच्छी लगती हो मुझे तुम क्या तुम्हें मैं अच्छा
नामुक़म्मल था सवाल, उसने कहा लगते हो,

मुझ से छीन जाओगे, दिल को ये ख़दशा भी नहीं
किस ने छीनी है दुआ ? तुम तो दुआ लगते हो,

क्या हो तुम ? धूप की सूरत कभी आ चुभते हो
और कभी तीर, कभी नर्म हवा लगते हो..!!

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