एक हम दोनों को ये हालात नहीं कर सकते

एक हम दोनों को ये हालात नहीं कर सकते
ख़ुद को वग्फ़ ए मुज़ाफ़ात नहीं कर सकते,

तेरे शहर में न रहने का ही नतीज़ा है कि
चाह कर भी तुझसे मुलाक़ात नहीं कर सकते,

वक़्त की धूप में जलता है मेरा दिल लेकिन
अपने साये से भी खुल के बात नहीं कर सकते,

रुसवाई ए ज़माना मेरे पाँव की ज़ंजीर बनी है
वरना यूँ अपने प्यार को खैरात नहीं कर सकते,

मेरी रातों का सहारा तो एक ख़्वाब ए सितारा है
हम चाँद के साथ तो बसर रात नहीं कर सकते..!!

Leave a Reply