वो इश्क़ जो हम से रूठ गया…

वो इश्क़ जो हम से रूठ गया
अब उस का हाल बताएँ क्या ?

कोई मेहर नहीं कोई क़हर नहीं
फिर सच्चा शेर सुनाएँ क्या ?

एक हिज्र जो हम को लाहक़ है
ता देर उसे दोहराएँ क्या ?

वो ज़हर जो दिल में उतार लिया
फिर उस के नाज़ उठाएँ क्या ?

फिर आँखें लहू से ख़ाली हैं
ये शमएँ बुझने वाली हैं,

हम ख़ुद भी किसी के सवाली हैं
इस बात पे हम शरमाएँ क्या ?

एक आग ग़म ए तन्हाई की
जो सारे बदन में फैल गई,

जब जिस्म ही सारा जलता हो
फिर दामन ए दिल को बचाएँ क्या ?

हम नग़्मा सरा कुछ ग़ज़लों के
हम सूरत गर कुछ ख़्वाबों के,

बे जज़्बा ए शौक़ सुनाएँ क्या ?
कोई ख़्वाब न हो तो बताएँ क्या ?

~अतहर नफ़ीस

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