कौन आता है बुझाने प्यास प्यासा देख कर
घर चले जाते है सब के सब तमाशा देख कर,
बात तेरी मान ली मैंने कभी टोका ही नहीं
लौट आता हूँ तुझे बस बेतहाशा देख कर,
ज़िन्दगी की मुश्किलें तो ना डरा पाई मगर
डर गया हूँ आज मैं ख़ुद को डरा सा देख कर,
मैं बड़ा तो हो गया पर माँ मेरी बदली ही नहीं
आज वो रो पड़ी मुझ को रुआँसा देख कर..!!