ऐसा कोई लम्हा होता जिसमे तन्हा होते हम !

ऐसा कोई लम्हा होता जिसमे तन्हा होते हम
चुपके चुपके करते बातें यूँ न रुसवा होते हम,

पूरा हर के सपना होता दुनियाँ में अपना भी
जहा चाहते वहाँ मिल लेते तोता मैना होते हम,

हर वक़्त ख्याल तुम्हारा यादे तुम्हारी होती है
याद यूँ जो रब को करते सबसे आला होते हम,

दिन से शब तक कहते तेरी यादो के सिवा
काश ! चाँद सूरज सितारे दुनियाँ में न होते हम,

दीद तेरी होती हरदम फिर न यादो में तेरी
बरखा बन कर बरसे होते दरियाँ दरियाँ होते हम,

बहते अश्को के किनारे मुझसे मिल कर किसी ने
है बताया इससे बेहतर था कि तन्हा होते हम,

तुमसा हमदम मिलता कोई इस जहाँ में गर
बन के चाहत इस जहाँ में हर शू पैदा होते हम..!!

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