दिल भी जलाया उस ने जो मेरा जलाया ख़त
अफ़सोस मैं ने जा के उसी को पढ़ाया ख़त,
जितना छुपा के रखा था दुनिया से अपना इश्क़
जा कर हर एक बज़्म में उस ने सुनाया ख़त,
अटकी है जान हल्क़ में देंगे वो क्या जवाब
परवरदिगार ख़ैर हो अब तक न आया ख़त,
उस तक तो दिल की बात को पहुँचाना था ज़रूर
उस के लिए लिखा था उसी से पढ़ाया ख़त,
मैं ने कहा कि कीजिए इरशाद कुछ हुज़ूर
उस ने थमा दिया मुझे चुपके से लाया ख़त..!!
~इरशाद अज़ीज़