ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है…

ज़मी सूखी है और पानी के भी लाले है
इन्सान ही आज इन्सान के निवाले है

जिनके दिलो में खून ख़राबे बसे हुए है
निज़ाम ए दुनियाँ अब उन्ही के हवाले है

जो कर के बेआबरू घरो को फूँक देते है
वही लोग आज बस्तियों के रखवाले है

उम्र भर इक़रार उल्फ़त कर न सके
उनका दावा है कि वो बड़े दिलवाले है,

हुनर ये नये ज़माने के हमें नहीं आते
हम तो सीधे सादे लोग वही पुराने है..!!

Leave a Reply

error: Content is protected !!