ज़ब्त ए ग़म पर ज़वाल क्यों आया

ज़ब्त ए ग़म पर ज़वाल क्यों आया
शिद्दतों में उबाल क्यों आया ?

गुल से खिलवाड़ कर रही थी हवा
दिल को तेरा ख़याल क्यों आया ?

इश्क़ तो हिज्र की अलामत है
वस्ल का फिर सवाल क्यों आया ?

ऐसा बदली ने क्या किया आख़िर
सूरज इतना निढाल क्यों आया ?

सूनी आँखों में क्या मिला तुमको
झील जैसा ख़याल क्यों आया ?

उम्र भर आईने पे रखी नज़र
अक्स में फिर ये बाल क्यों आया ?

यूँही पागल हवा के छूने से
तुझमें दरिया उछाल क्यों आया ?

इश्क़ तुम को नहीं हुआ तो कहो
शायरी में कमाल क्यों आया..!!

~अलीना इतरत

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