गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ

गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ
शिकस्तादिल हूँ मगर गम का खरीदार हूँ,

काफिलों की बेरूखी से डर क्यूँ लगे मुझे ?
मुद्दत से हूँ सफर मे मंजिल का पैरोकार हूँ,

हर शब इंतजार मे गुजरी अपनी अब तक
इस खामोश सी सहर का मै कुसूरवार हूँ,

महफिल मे तेरा ये तगाफुल भी देखा हमने
यूँ कहने को सबकी नजर मे रसूखदार हूँ,

ये खुदगरजी के तौर तरीके आते नही हमे
सर ए राह लुटने का मै ही तो जिम्मेदार हूँ,

अश्क जो सूख चले थे फिर वो बहते कैसे
इस बज्म ए जश्न मे फकत मै सोगवार हूँ,

बागबां की उदासी से वाकिफ हैं फूल सब
तलाश है जिसकी तुझे वो तेरा ऐतबार हूँ,

मुकद्दर पर अपने किसे इख्तियार है यहाँ ?
सब की तरह जहाँ मे मै भी बस लाचार हूँ..!!

~ यूनुस खान

Leave a Reply