वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे,
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िंदगी बन कर
ये और बात मेरी ज़िंदगी वफ़ा न करे,
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे,
सुना है उस को मोहब्बत दुआएँ देती है
जो दिल पे चोट तो खाए मगर गिला न करे,
अगर वफ़ा पे भरोसा रहे न दुनिया को
तो कोई शख़्स मोहब्बत का हौसला न करे,
बुझा दिया है नसीबों ने मेरे प्यार का चाँद
कोई दिया मेरी पलकों पे अब जला न करे,
ज़माना देख चुका है परख चुका है इसे
‘क़तील’ जान से जाए पर इल्तिजा न करे..!!
~क़तील शिफ़ाई