वही फिर मुझे याद आने लगे हैं…

वही फिर मुझे याद आने लगे हैं
जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं,

वो हैं पास और याद आने लगे हैं
मोहब्बत के होश अब ठिकाने लगे हैं,

सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं
तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं,

हटाए थे जो राह से दोस्तों की
वो पत्थर मेरे घर में आने लगे हैं,

ये कहना था उन से मोहब्बत है मुझको
ये कहने में मुझको ज़माने लगे हैं,

हवाएँ चलीं और न मौजें ही उठी
अब ऐसे भी तूफ़ान आने लगे हैं,

क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है
‘ख़ुमार’ अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं..!!

~ख़ुमार बाराबंकवी

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